इस सीधे प्रसारण की समाप्ति के होने तक मेरा हथियार भी पैन्ट में तन कर खड़ा हो गया था।
उस समय मेरा मन तो कर रहा था कि मैं अन्दर जाकर नितिन को वहाँ से हटा दूँ और खुद मोर्चा सम्भाल कर चाची की चूत का बाजा ही बजा दूँ।
लेकिन समय की नजाकत को समझते हुए मैंने वहाँ से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी और तुरंत बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया तथा लाइब्रेरी की किताब उठा कर घर से बाहर निकल गया।
अगले पीरियड के शुरू होने से पहले मैं कॉलेज तो पहुँच गया था, लेकिन वहां मेरा मन बिल्कुल नहीं लगा और चाची तथा नितिन की चुदाई का दृश्य मेरी आँखों के सामने घूमता रहा।
पीरियड के अंत होने पर जब मैं कॉलेज से घर वापिस पहुँचा तब देखा कि नितिन जा चुका था तथा चाची भी कपड़े बदल कर हरे रंग की चमकली साड़ी पहने बैठक में टीवी देख रही थी।
नितिन ने 6-7 अत्यधिक तीव्र गति से धक्के मारे और चाची के साथ खुद भी झड़ गया तथा पस्त होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
इस सीधे प्रसारण की समाप्ति के होने तक मेरा हथियार भी पैन्ट में तन कर खड़ा हो गया था।
उस समय मेरा मन तो कर रहा था कि मैं अन्दर जाकर नितिन को वहाँ से हटा दूँ और खुद मोर्चा सम्भाल कर चाची की चूत का बाजा ही बजा दूँ।
लेकिन समय की नजाकत को समझते हुए मैंने वहाँ से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी और तुरंत बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया तथा लाइब्रेरी की किताब उठा कर घर से बाहर निकल गया।
अगले पीरियड के शुरू होने से पहले मैं कॉलेज तो पहुँच गया था, लेकिन वहां मेरा मन बिल्कुल नहीं लगा और चाची तथा नितिन की चुदाई का दृश्य मेरी आँखों के सामने घूमता रहा।
पीरियड के अंत होने पर जब मैं कॉलेज से घर वापिस पहुँचा तब देखा कि नितिन जा चुका था तथा चाची भी कपड़े बदल कर हरे रंग की चमकली साड़ी पहने बैठक में टीवी देख रही थी।
मैं चुपचाप ऊपर अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा, तभी रसोई में काम कर रही मम्मी एकदम से पलटी और मुझे देख कर बोली- अरे संजू क्या हुआ? तू जल्दी कैसे आ गया? अभी तो सिर्फ दो ही बजे हैं?
मैंने उत्तर दिया- कुछ नहीं मम्मी, एक प्रोफ़ेसर नहीं आये थे इसलिए अंतिम पीरियड खाली थे और मेरे सिर में थोड़ा दर्द हो रहा है तथा मुझे कुछ कमजोरी भी महसूस हो रही है।
मम्मी बोली- शायद रात को देर तक पढ़ने से नींद पूरी नहीं हुई होगी इसी कारण से ऐसा लग रहा होगा। मैं तेरे लिए चाय बनाकर लाती हूँ, पीकर तुम आराम कर लेना, जल्दी ही आराम महसूस होगा।
चाय पीकर मैं लेट गया लेकिन आँखे बंद करते ही फिर वही दृश्य एक चल-चित्र की तरह मेरी आँखों के सामने तैरने लगे।
मेरी आँख लगने ही वाली थी कि मम्मी की आवाज सुनाई दी- तृप्ति, मैं जरा बाहर जा रही हूँ, छः बजे तक आ जाऊँगी। संजू की तबियत ठीक नहीं है तुम कुछ देर उसके पास ही बैठ जाना।
चाची बोली- अच्छा जीजी, आप निश्चिन्त हो कर जाइए, मैं संजू को देखती रहूंगी।
मम्मी और चाची की बात सुनते ही मेरे मन का शैतान जाग उठा और मैंने सोचा कि चाची को सेट करने के लिए यही सब से बढ़िया मौका था।
मैंने फ़ौरन अपने सारे कपड़े बदल कर सिर्फ लुंगी तथा बनियान पहन कर चाची की इंतज़ार में बैड पर लेट गया।
थोड़ी देर के बाद चाची आई और मुझसे पूछा- संजू तुम्हें क्या हुआ? सुबह तो तुम बिल्कुल ठीक थे?
मैं बोला- ‘चाची ऐसा कुछ चिंता करने की बात नहीं है, थोड़ा सिर में दर्द कर रहा है और शरीर भी टूट रहा है।
चाची मेरे सिरहाने बैठती हुई बोली- संजू, आ मैं तेरा सिर दबा देती हूँ इससे तुम्हे कुछ आराम मिलेगा और नींद भी आ जाएगी। जब सो कर उठोगे तब अपने आप को ठीक एवं तरो-ताज़ा महसूस करोगे।
इतना कह कर उन्होंने मेरा सिर अपनी गोदी में रख लिया और सहलाने एवं दबाने लगी।
कुछ देर लेटे रहने के बाद मैंने चाची से कहा की मेरे कन्धों के जोड़ों में बहुत दर्द हो रहा है इसलिए कृपया आप थोड़ा वहाँ पर भी दबा दें।
चाची ने जब मेरे कंधे दबाने शुरू किये तब मैंने धीरे से अपना दायाँ बाजू उठा अपने माथे पर रख दिया और जब वह कन्धा दबाने के लिए आगे झुकती तब मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकरा जाता।
जब चाची ने मेरी इस हरकत पर कुछ नहीं कहा तब मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने उस हाथ को धीरे-धीरे सरका कर उनकी बायीं चूची पर टिका दिया और अंदाजे से उनके चुचुक को मसल दिया।
मेरी इस हरकत से वह शायद सोते से जागी हो और मेरा हाथ अपनी चूची से हटाते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो नितिन? बहुत बदतमीज हो गए हो। आने दो तुम्हारी मम्मी को मैं उन्हें इस हरकत के बारे में ज़रूर बताऊँगी।